यमन मन भावन
शुद्ध स्वरोंका अद्भुत संगम
तीव्र हुआ मध्यम
वादी ग, नी संवादी ठरत है,
आरोह मे पंचम वर्जित है,
रस है भाव विभोर
न्यास हुआ गंधार, मध्यम का
सुरोंकी लडीया लहरायी
प्रभुकी झलक उसिमें पायी
भाव मधुर तन मन
निर्गुण केदार
सत्य स्वरूप शिवजी का दर्शन
साधक-साधन सभी हो अर्पण
वादी षड्ज सगुण निरुपम
निराकार संवादी मध्यम
रात प्रथम प्रहर जो गावे
अर्पण, समर्पण अनुभूती पावे
गंध, रूप, रस ना आकार
केदार हुआ साकार
मधुर भीमपलासी
गंधार, निषाद कोमल के स्वर में
थाट काफी प्रमुख लक्षण मे
मध्यम वादी, षड्ज संवादी
रस अमृत बरसाता
काशी, मथुरा तिर्थोका दर्शन
स्वर स्वर मे मधु रस का प्राशन
पावन प्रभूकी चरणोको ध्याता
भीमपलासी मधु रस कहलाता
इदं न मम